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बस्तर के हज़ारों श्रमिक कई राज्यों में बन रहे बंधक, पढ़िए पूरी खबर..


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जगदलपुर। बस्तर से बड़े पैमाने पर आदिवासी मजदूरों को अन्यत्र राज्यों में अधिक रोजी का लोभ देकर ले जाने का सिलसिला चल रहा है। प्रशासन के कई कवायदों के बावजूद भी मानव तस्करी का क्रम अब भी जारी है। एक गैर सरकारी संगठन के रिपोर्ट के मुताबिक बस्तर के 10 से 12 हजार श्रमिक आंध्र, तेलंगाना महाराष्ट्र समेत अन्य राज्यों में बंधक के रूप में शोषित हो रहे हैं। वहीं इनके बारे में प्रशासन को भी ठोस जानकारी नहीं है। वर्तमान में खेती-बाड़ी का सीजन खत्म होते ही स्थानीय मजदूर दलाल दुबारा सक्रिय हो गए हैं। उनके द्वारा दूरस्थ गांवों में युवक-युवतियों को बाहर भेजा जा रहा है।


ज्ञात हो कि लंबे समय से बस्तर से नाबालिगों समेत आदिवासी युवक-युवतियों को मजदूर दलालों के द्वारा अधिक पगार के नाम पर बाहरी राज्यों में भेजा जाता रहा है। वहां उन्हें बधंक बनाकर प्रताड़ित करने की घटनाएं सामने आती हैं। हालांकि प्रशासन द्वारा समय-समय पर रेस्क्यू की कार्रवाई की गई है पर यह नाकाफी है। अधिकतर मामलों में श्रम व पुलिस विभाग द्वारा एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ा जाता रहा है। श्रम विभाग जहां इसे मानव तस्करी मानता है तो पुलिस पलायन या मजदूरों द्वारा स्वेच्छापूर्वक बाहरी राज्यों में काम के लिए जाना कहती है। दरअसल जिले में एक सिंडीकेट काम कर रहा है। इसमें यहां से हैदराबाद जाने वाली बसों के कंडक्टर, हेल्पर से लेकर दलालों की आपस में मिलीभगत है। शहर से आगे केशलूर के पास दलाल मजदूरों को बस में सवार कराते हैं, और अपना कमीशन आनलाइन मंगवा लेते हैं।


वहीं कंडक्टर को हैदराबाद पहुंचते ही उनका हिस्सा मिल जाता है। इस पर न नकेल कसने जिला प्रशासन ने सभी पंचायतों को बाहर जाने वाले श्रमिकों का ब्यौरा रखने का आदेश दिया है, पर इसका पालन होता नहीं दिख रहा है। रजिस्टर संधारित नहीं होने से शिकायत मिलने के बावजूद भी प्रशासन के लिए किसी श्रमिक को वापस लाना बड़ी चुनौती साबित हो रही है।


नाबालिगों से दुष्कर्म के मामले भी सामने आए श्रमिकों के लिए काम रहे संगठन अर्शिल वेलफेयर सोसाइटी की प्रमुख शमीम सिद्दिकी ने बताया कि चार साल पहले उत्तरप्रदेश के ईंट भट्टों में बंधक बनाए गए दो दर्जन मजदूरों को रिहा करवाया गया था। यह मजदूर नारायणपुर जिले के थे। इनमें सात नाबालिग लड़कियां भी थीं, जो ठेकेदारों के उत्पीड़न के चलते गर्भवती पाई गई थीं। अब भी बस्तर के 10 से 12 हजार मजदूर कर्नाटक, आंध्र , तेलंगाना आदि गांवों में बंधक मजदूर के रूप में काम करने विवश हैं। सरकारी एजेंसियों से इन्हें उचित मदद नहीं मिल पा रही है।



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