कवर्धा नगर पालिका की अनदेखी का शिकार-रेवाबंद तालाब और श्रीकृष्ण मूर्ति की बदहाल स्थिति।
- VOS CG DESK
- Aug 16
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कवर्धा (रवि ग्वाल)-जिसे धर्मनगरी कहा जाता है, जहां राजनीति में हिंदुत्व के नाम पर नेता पहचाने जाते हैं, लेकिन आज कृष्ण जन्माष्टमी के पावन अवसर पर एक ऐसा दृश्य प्रस्तुत कर रहा हूँ, जो आस्था और राजनीति दोनों पर सवाल खड़े करता है।
शहर के हृदयस्थल बस स्टैंड स्थित रेवाबंद तालाब, जिसके बीच विराजमान हैं श्रीकृष्ण की मूर्ति आज टूटी-फूटी हालत और भारी गंदगी में घिरी पड़ी है। यह दृश्य देखकर सहज ही प्रश्न उठता है कि क्या कवर्धा की राजनीति केवल अखबारों और सोशल मीडिया तक सिमटकर रह गई है?
नगर पालिका अध्यक्ष महोदय, जिन्हें हिंदुत्व का चेहरा कहा जाता है, पद संभालने के बाद से लगातार चर्चा में हैं,तालाबों की सफाई के अभियानों की खबरों और फोटो पोस्ट्स के कारण। नेता जी को कभी कुदाल थामे हुए, कभी झाड़ू लगाते हुए देखा गया है। मगर यह कैसा सफाई अभियान है, जहां शहर के सबसे प्रमुख तालाब की यह बदहाल तस्वीर सामने आ रही है?
क्या तालाब की सफाई केवल कैमरे के फ्लैश तक सीमित है? क्या श्रीकृष्ण जन्माष्टमी जैसे पावन पर्व पर भी नगर पालिका की जिम्मेदारी नहीं बनती कि वह इस धार्मिक स्थल को स्वच्छ और व्यवस्थित रखे?
कवर्धा की जनता यह सवाल पूछने को मजबूर है...
अगर सफाई सच में हो रही है तो रेवाबंद तालाब की यह स्थिति क्यों?
अगर हिंदुत्व के नाम पर राजनीति हो रही है तो आस्था के प्रतीकों के प्रति यह लापरवाही क्यों?
आस्था और राजनीति के इस टकराव में सबसे बड़ा आघात श्रद्धालुओं की भावनाओं पर हुआ है। श्रीकृष्ण की मूर्ति गंदगी से घिरी पड़ी है, और नगर पालिका की कथनी और करनी के बीच का अंतर साफ दिखाई दे रहा है।
कवर्धा की पहचान धर्मनगरी के रूप में है, लेकिन क्या यह उपाधि केवल नारों और भाषणों तक सीमित हो गई है?

“नगर पालिका का असली चेहरा जमीनी हकीकत में दिखता है, अखबारों की रंगीन तस्वीरों में नहीं।”
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