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जिला चिकित्सालय में बच्चों को ओआरएस कार्नर से घोल पिलाकर ,गहन डायरिया नियंत्रण पखवाड़ा का किया शुरुआत





जिला चिकित्सालय में बच्चों को ओआरएस कार्नर से घोल पिलाकर ,गहन डायरिया नियंत्रण पखवाड़ा का किया शुरुआत।


107191 बच्चों का हैं लक्ष्य, उपस्थित लोगों को डायरिया से रोकथाम की दी जानकारी।


कवर्धा – 20 जून 2023। गहन डायरिया नियंत्रण पखवाड़ा की शुरुवात आज से जिला चिकित्सालय के ओपीडी हॉल में ’ओआरएस कार्नर में बच्चों को कलेक्टर जनमेजय महोबे’ के द्वारा ओआरएस घोल पिलाकर किया गया। कलेक्टर महोबे ने कहा कि इस पखवाडा के अंतर्गत चिन्हांकित क्षेत्रों का दौरा कर स्वास्थ्य टीम को लगायें तथा लोगों को स्वच्छता अपनाने और साफ जल के उपयोग करने जागरूकत करें। उन्होंने बहुत सारी बीमारियां स्वच्छता के अभाव में होती है। मितानिन, ऑगनबाड़ी कार्यकर्ता और स्वास्थ्य कार्यकताओं की संयुक्त टीम बनाकर गांवों में भ्रमण कराये। इस अवसर पर ’पुलिस अधीक्षक डॉ अभिषेक पल्लव, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत अधिकारी संदीप अग्रवाल, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ सुजॉय मुखर्जी, सिविल सर्जन डॉ महेश सूर्यवंशी, डीपीएम सृष्टि शर्मा, डॉ. सलिल मिश्रा शिशु रोग विशेषज्ञ, डॉ. पुरषोत्तम राजपूत, अस्पताल सलाहकार रीना सलूजा, मुकुंद राव प्रजनन एवं स्वास्थ्य कार्यक्रम सलाहकार, बालाराम साहू जिला समन्वयक रेडक्रास’ सहित विभाग के स्टाफ मौजूद रहे।

डॉ सुजॉय मुखर्जी सीएमएचओ’ ने बताया कि जब मल सामान्य पैटर्न से बदल जाता है और कई बार पानीदार (मल पदार्थ से अधिक पानी) होता है, उस स्तिथि को डायरिया कहते है। सुरक्षित पेयजल की कमी से और अस्वच्छता से भी डायरिया हो सकता है। निर्जलीकरण का कारण बनने वाले अधिकांश दस्त पतले या पानीदार होते हैं। स्तनपान करने वाले बच्चे का सामान्य बार-बार या पतला मल दस्त नहीं होता है। डायरिया दस्त का एक प्रकरण है जो 14 दिनों से कम समय तक रहता है। तीव्र पानी के दस्त निर्जलीकरण का कारण बनता है जिससे बच्चे कुपोषित भी होते है। तीव्र दस्त से बच्चे की मृत्यु आमतौर पर निर्जलीकरण के कारण होती है स्थायी डायरिया यदि डायरिया का एक प्रकरण जो 14 दिनों या उससे अधिक समय तक रहता है। दस्त के 20 एपिसोड लगातार बने रहते हैं और यह अक्सर पोषण संबंधी समस्याओं का कारण बनता है। डिसेंट्री मल में रक्त के साथ दस्त बलगम के साथ या बिना। पेचिश का सबसे आम कारण शिगेला बैक्टीरिया है। अमीबिक पेचिश छोटे बच्चों में आम नहीं है। एक बच्चे को पानी वाले दस्त और पेचिश दोनों हो सकते हैं। उन्होने कहा कि ग्रामीण स्तर पर डायरिया से निजात पाने के लिए मितानिन, ऑगनबाड़ी कार्यकर्ता को जानकारी दिया गया है तथा ओआरएस और जिंक के टेबलेट का पर्याप्त मात्रा उपलब्ध करा दी गई है। एक लीटर स्वच्छ पानी में 6 छोटा चम्मच शक्कर और आधा चम्मच नमक डालकर घोल बनाया जा सकता है।

डॉ. महेश सूर्यवंशी सिविल सर्जन ने बताया कि डायरिया संक्रमण का संचरण संक्रमण प्रमुख रूप से मल मुख मार्ग से फैलता है। उदाहरण के लिए एक कुएं के पास जमीन पर मल में रोगाणु में आ सकते हैं और एक बच्चे द्वारा पिया जा सकता है शौचालय जाने के बाद बच्चे द्वारा हाथ नही धोए जाने पर एवं खाना खाने पर रोगाणु बच्चे के पेट में चले जाता है। बचपन में डायरिया नियंत्रण के लिए सुरक्षा रोकथाम और उपचार बच्चों को संक्रमण से बचाया जा सकता है दस्त होने से रोका जा सकता है और दस्त का इलाज किया जा सकता है।

डॉ. सलिल मिश्रा शिशु रोग विशेषज्ञ ने बताया कि डायरिया एक गंभीर समस्या हो सकती है .और यहाँ तक कि मृत्यु भी हो सकती है। अगर बच्चा निर्जलित हो जाता है। निर्जलीकरण तब होता है जब बच्चा शरीर से बहुत अधिक पानी और नमक खो देता है। यह इलेक्ट्रोलाइट्स की गड़बड़ी का कारण बनता है जो शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को प्रभावित कर सकता है। उन्होने बताया कि डायरिया के दौरान स्तनपान कराएं, पूरक आहार,विटामिन ए पूरकता टीकाकरण, खसरे का टीका,रोटा.वायरस टीका ,साबुन से हाथ धोना,शौच के लिए शौचालय का उपयोग करना, खिलाना जारी रखा जाना चाहिए। ओआरएस घोल बनने के 24 घंटे के बाद उपयोग न करे।

डीपीएम सृष्टि शर्मा ने बताया कि सभी विकासखण्डों में डायरिया के रोकथाम के लिए आवश्यक तैयारी कर ली गई है। सभी मितानिनों के पास पर्याप्त मात्रा में ओआरएस की पैकेट उपलब्ध करा दी गई। तथा स्वास्थ्य टीम के द्वारा सतत निगरानी किया जा रहा है। ओआरएस का घोल पिलाने हेतु हमारे जिले में 107191 का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसमें बोडला में 24685, कवर्धा में 28784, लोहारा में 20283 और पंडरिया में 33439 बच्चो को यह घोल पिलाया जाएगा। यह अभियान दिनांक 20 जून से लेकर 4 जुलाई तक पूरे जिले में चलाया जाएगा।

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