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स्वतंत्रता दिवस पर अनोखा दृश्य,नेता जी ने उड़ाए काले कबूतर, राजनीति में हो गया ‘फाउल’

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(रवि ग्वाल) कवर्धा-बचपन में आपने भी वो खेल खेला होगा- "घोड़ा उड़, हाथी उड़, कबूतर उड़"। हाथी या घोड़ा उड़ाने की कोशिश करो तो बच्चे हंसते हुए चिल्ला देते “फाउल हो गया”। मगर यहां मामला थोड़ा अलग है। नेता जी ने कबूतर ही उड़ाया, फिर भी राजनीति और प्रशासन की नज़र में "फाउल" हो गया।


जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 11 के अंतर्गत ग्राम गुड़ा हाईस्कूल में 15 अगस्त को आयोजित ध्वजारोहण समारोह में जिला पंचायत सभापति वीरेंद्र साहू ने परंपरा तोड़ते हुए सफेद नहीं, बल्कि काले कबूतर उड़ाए। शांति और सौहार्द का संदेश देने वाले सफेद कबूतर की जगह काले पंख फैलते ही पूरा माहौल चौंक गया। इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल है और नेता जी की उड़ान पर तंज कसे जा रहे हैं।


कबूतर तो उड़ाया, पर सवाल भी उड़ गए...

राष्ट्रीय पर्व पर यह रंग बदलने का खेल क्यों खेला गया, इसके कई जवाब तलाशे जा रहे हैं...

क्या यह किसी छुपे विरोध का संकेत था?
क्या सफेद कबूतर समय पर "ड्यूटी पर" नहीं पहुंचे?
या फिर बस "अनोखापन"दिखाने की कोशिश थी?

राजनीति में हलचल, जनता में कौतूहल


घटना के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल है। विपक्ष इसे राष्ट्रीय पर्व की गरिमा के खिलाफ बता रहा है, तो समर्थक कह रहे हैं कि “कबूतर तो कबूतर होता है, उसका रंग देखकर देशभक्ति नहीं नापी जा सकती!”।


व्यंग्य की उड़ान... लोग सोशल मीडिया पर मज़े लेते हुए लिख रहे हैं...


"बचपन के खेल में तो कबूतर उड़ाने पर फाउल नहीं होता था, पर राजनीति में सब उल्टा है"


"नेता जी ने शांति का संदेश काले रंग में भेजा, शायद रंगों की राजनीति से प्रेरणा ली हो"

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सफाई की मांग


अब सबकी निगाहें जिला पंचायत सभापति वीरेंद्र साहू पर टिकी हैं। लोग जानना चाहते हैं कि यह "कबूतर कांड" योजनाबद्ध था या बस एक संयोग।


कुल मिलाकर, नेता जी का कबूतर तो उड़ गया, लेकिन सवाल अब भी जमीन पर हैं। और राजनीति में, सही कबूतर उड़ाने पर भी फाउल हो सकता है-ये नया सबक शायद आज़ादी के इस पर्व पर ही मिला ।

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