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मित्रता हो तो श्रीकृष्ण एवं सुदामा जैसा– पं. हरधर शर्मा





मित्रता हो तो श्रीकृष्ण एवं सुदामा जैसा--

पं. हरधर शर्मा।

जिसके पास प्रेम धन है वह निर्धन नहीं हो सकता

श्रीधाम वृंदावन में भव्य श्रीमद भागवत कथा का आयोजन।


केशरवानी परिवार डिंडौरी द्वारा आयोजित ।


कवर्धा

मित्रता हो तो श्रीकृष्ण एवं सुदामा जैसा जिसकी मित्रता ने दुनिया को यह संदेश दिया कि राजा हो या रंक दोस्ती में सब बराबर है । कवर्धा से पहुँचे कथावाचक पं. हरधर शर्मा ने स्व.सीताराम केशरवानी परिवार डिंडौरी द्वारा श्रीधाम वृंदावन में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में श्री कृष्ण एवं सुदामा चरित्र

कथा पर कहा । जिसके पास प्रेम धन है वह निर्धन नहीं हो सकता ।

पं.श्री शर्मा ने श्रीकृष्ण एवं सुदामा के मित्रता पर कहा कि भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की दोस्ती ने दुनिया को यह संदेश दिया कि राजा हो या रंक दोस्ती में सब बराबर होते हैं। श्री कृष्ण और सुदामा जैसी मित्रता आज कहां देखने को मिलता है।

जब सुदामा अपनी पत्नी के बार बार कहने पर भगवान श्रीकृष्ण से मिलने द्वारिकाधीश पहुचते है और वहाँ सुदामा द्वारपाल के मुख से पूछत दीनदयाल के धाम, बतावत आपन नाम सुदामा सुनते ही द्वारिकाधीश नंगे पांव मित्र की अगवानी करने राजमहल के द्वार पर पहुंच गए। यह सब देख वहां लोग यह समझ ही नहीं पाए कि आखिर सुदामा में ऐसा क्या है जो भगवान दौड़े दौड़े चले आए। बचपन के मित्र को गले लगाकर भगवान श्रीकृष्ण उन्हें राजमहल के अंदर ले गए और अपने सिंहासन पर बैठाकर स्वयं अपने हाथों से उनके पांव पखारे। कहा कि सुदामा से भगवान ने मित्रता का धर्म निभाया और दुनिया के सामने यह संदेश दिया कि जिसके पास प्रेम धन है वह निर्धन नहीं हो सकता। राजा हो या रंक मित्रता में सभी समान हैं और इसमें कोई भेदभाव नहीं होता । संसार में सबसे अनोखे भक्त रहे हैं श्रीकृष्ण एवं सुदामा । सुदामा जीवन में जितने गरीब नजर आए, उतने वे मन से धनवान थे। उन्होंने अपने सुख व दुखों को भगवान की इच्छा पर सौंप दिया था। श्रीकृष्ण और सुदामा के मिलन का प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भावविभोर हो गए। उन्होंने कहा कि जब सुदामा भगवान श्रीकृष्ण ने मिलने आए तो उन्होंने सुदामा के फटे कपड़े नहीं देखे, बल्कि मित्र की भावनाओं को देखा। मनुष्य को अपना कर्म नहीं भूलना चाहिए। अगर सच्चा मित्र है तो श्रीकृष्ण और सुदामा की तरह होना चाहिए। जीवन में मनुष्य को श्रीकृष्ण की तरह अपनी मित्रता निभानी चाहिए।

कथावाचक ने सुदामा चरित्र का भावपूर्ण सरल शब्दों में वर्णन किया कि उपस्थित लोग भाव विभोर हो गए

कथावाचक पं.श्री शर्मा ने अपने कथा के अंत मे कहा कि मन की शुद्धि के लिए श्रीमद् भागवत से बढ़कर कोई साधन नहीं है। यह श्रीमद् भागवत कथा देवताओं को भी दुर्लभ है। हम सबका सौभाग्य है कि हमने इस धरती पर मानव के रूप में जन्म लिए है और हमे श्रीमद्भागवत कथा सुनने का अवसर मिलता रहता है ।

भगवान को दिखावा की नही बल्कि भाव भरी भक्ति चाहिए । हम सब धर्म के रास्ते पर चलते जाए तो हमे कभी भी जीवन मे संकट का अनुभव नही होगा ।

आयोजन कर्ता संजय केशरवानी ( सदस्य जिला पंचायत प्रतिनिधि ) ने बताया कि बाके बिहारी के आशीर्वाद से वृन्दावन धाम में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया है । जिसमे हमारे साथ आये पारिवारिक सदस्य रिश्तेदार एवं शुभचिंतक कथा का रसपान कर रहे हैं । यह आयोजन मानव सेवा संघ आश्रम मथुरा रोड वृन्दावन में आयोजित हो रहा है ।

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