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भारत में मानव तस्करी को लेकर शिर्ष पर जा रहा छत्तीसगढ़, यूनाइटेड नेशन ने भी की चिंता ज़ाहिर।

Voice Of State

29/June/2020

1.गुमशुदगी के आकड़े चिंता में डाल देने वाले है।
2. क्या महज ये गुमशुदगी है या फिर हो रही है छत्तीसगढ़ में मानव तस्करी ?
3. महाराष्ट्र, गोवा, आंध्रप्रदेश जैसे बड़े राज्यों को पीछे छोड़ मानव तस्करी में शिर्ष पर पहुंच रहा छत्तीसगढ़।
4. नाबालिग लड़कियों की गुमशुदगी की रिपोर्ट सबसे ज्यादा। कही देह व्यापार की शिकार तो नहीं बन रही लडकियां।
5. गुमशुदगी की रिपोर्ट में 80% लडकियां। तो वही बच्चों के गायब होने के मामले भी काफी ज्यादा।

भारत सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद देश में मानव तस्करी के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। जोकि देश के लिए भयवाहक स्थिति पैदा कर चुकी है। एक अनुमान के मुताबिक, हथियारों और ड्रग तस्करी के बाद मानव तस्करी पूरी दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा संगठित अपराध है। बाबजूद मानव तस्करी को लेकर देश में इनके आकड़ें तेजी से बढ़ते जा रहे है जिसमे देश के छत्तीसगढ़ राज्य में बढ़ते मानव तस्करी के बढ़ते ग्राफ को देखते हुए United Nations तक आवाज उठ चुकी है।

मगर वास्तविकता में तेजी से बढ़ते मानव तस्करी को रोकने और बढ़ते ग्राफ को गिराने में देश और राज्य की स्थिति गंभीर नजर नहीं आ रही। जोकि देश के लिए अतिचिन्तनीय विषय बन चुका है। 2015 के मामलों में अगर प्रकाश डालें तो विभागीय आंकड़े के अनुसार 2511 मामले दर्ज हुए है जिसमे 101 मामले जबरन शादी करने को लेकर है तो 157 मामले जबरन कैदकर रखने का है।, तो 96 मामले पोर्नोग्राफ़ी के लिए रिकॉर्ड किये गए है। जिसमे 130 लड़कियां 18 वर्ष से कम उम्र की पाई गई थी। वहीँ अबतक गंभीर आंकड़े के साथ 26 लाख से ज्यादा (Human trafficking) मतलब मानव तस्करी की वजह से गायब है, जिनके बारे में अभीतक ज्यादा जानकारी नहीं है। मगर इनमे से 15% लोग बंधुआ मजदुर तो 43 प्रतिशत सेक्स से संबंधित मामलों में पाए गए है। वहीँ 31 मामले बॉडी पॉट्स (आर्गन) सप्लाई के दर्ज हो चुके है।

आर्टिकल से मिली जानकारी के अनुसार अबतक देश में 03 लाख 60 हजार ऐसे बच्चे भी गायब हुए है जिनकी उम्र 6 वर्ष से कम है, तो 41 फीसदी आंकड़े 18 वर्ष से कम के है। महज 2012-14 में ही जशपुर जिले से 15 सौ मामले रिकॉर्ड किये गए जिसमे से सभी लड़कियां 15 वर्ष से 21 वर्ष की आयु कि थी। 13 मार्च 2018 को अमेरिका में हुए यूनाइटेड नेशन के कॉन्फ्रेंस में छत्तीसगढ़ में बढ़ रहे मानव तस्करी को लेकर मिस्टर लुका द्धारा चिंता भी व्यक्त की गई है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड के मुताबित 2018 में 09 हजार, तो 2017 में 07 हजार 383 / 2016 में 06 हजार 649 केसेस मामले रजिस्टर किये गए है। जोकि 0.84% के फीसदी से बढ़ते दिखाई दे रहा है। तो वहीँ पुरे इंडिया की बात की जाए तो वर्ष 2018 में 2 लाख 23 हजार महिलाओं की केस दर्ज किये गए है।

साथ ही विगत कुछ वर्षों से चले आ रहे अमन मूमेंट (NGO) की रिकॉर्ड की बात की जाए तो उन्हें 2018 तक छत्तीसगढ़ प्रदेश में 17.8 लाख गुमशुदगी से सम्बंधित कॉल आ चुकें है, तो वहीँ 245 कॉल हर दिन उन्हें प्राप्त होते है। जिसमे से 5 कॉल WHL (महिला हेल्फ लाइन) रायपुर को प्राप्त हो रही है। यह सभी महज वह आंकड़े है जो राज्य सरकार के रिकॉर्ड में उपस्थित है साथ ही आंकड़ों की बात की जाए तो और अधिक हो सकती है। एक मैगजीन की रिपोर्ट के आधार पर यह कहा जा सकता है कि अब तक लगभग 31 लाख लोग मानव तस्कर (human trafficking) का शिकार छत्तीसगढ़ में हो चुके है जिसमे से आदिवासी इलाकों से लगभग 43% तो शहरी इलाकों से 31% है।

वहीँ अगर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर कि बात की जाए तो 2020 में कुल मामले 839 रजिस्टर किये गए है, जिनमे से 531 महिलाएँ और बच्ची है। जिनमे इनकी उम्र 10 वर्ष से 14 वर्ष तक की 20 बच्चियाँ तो 15 से 19 वर्ष की 190 बच्चियाँ और 19 से 24 वर्ष की 165 लड़कियां गायब है। साथ ही दुर्ग जिले की बात करें तो 2020 में अबतक 303 महिलाओं की गुमशुदगी कि रिपोर्ट दर्ज की गई है। जिसमे से 15 से 19 वर्ष की 116 बच्चियाँ और 20-24 साल की 80 लड़कियां शामिल है। वहीँ कवर्धा जिले में अबतक 1881 मामले गुमशुदगी को लेकर दर्ज किये गए है, जिनमे 1216 लडकियां शामिल है। 2020 के आंकड़ों के अनुसार 130 लोगों की गुमशुगी की रिपोर्ट दर्ज की गई है जिसमे 84 महिलाएँ शामिल है साथ ही 15 से 19 वर्ष के बीच की 46 लड़कियों के साथ 10 से 14 वर्ष की 10 बच्चियाँ शामिल है।

इन सभी आंकड़ों से राज्य की स्थिति स्पष्ट दिखाई देती है की मानव तस्करी (human trafficking) के मामले कितने आसानी से फलफूल रहे है। इन सब आंकड़ों को देखकर यह सवाल उठना लाजमी हो जाता है कि क्या राज्य सरकार और केंद्र सरकार इस गंभीर समस्या को लेकर कोई कठोर कदम उठाएगी ? वहीँ इन आंकड़ों को देखकर यह बात भी स्पष्ट हो जाती है कि गुमशुदगी की रिपोर्ट में सबसे अधिक 15 से 19 वर्ष की लड़कियां शामिल है, जोकि शादी या प्रेम सम्बंध की वजह से घर से नहीं भाग सकती। ऐसे में अब सवाल यह उठता है की आखिर ये लड़की और बच्चियाँ गई कहाँ। क्या पुलिस विभाग और सरकार इस पुरे मामले में अपनी गंभीरता दिखाते हुए किसी प्रकार कि कोई अहम् फैसले लेकर किसी तरह कि योजना बना पाएगी या कोई टीम गठित कर इन सभी मामलों पर गंभीरतापूर्वक कार्यवाई करेगी। और उम्मीद लगाए बैठे या हार चुके उन परिवार वालों के घर में वापस खुशियाँ लौटाने में कामयाब हो पाएगी।

जब इन सभी बातो को लेकर हमने कबीरधाम के पुलिस अधीक्षक से बात की।

हमने गवर्नमेंट से प्राप्त 2020 आकड़े के बारे में पूछा तो कबीरधाम के पुलिस अधीक्षक ने बताया की 2001 से लेकर 2020 की जो रिपोर्ट है उसमे छोटे बच्चे 03 है और बालिकाएं 21 और बड़े उम्र के जो पुरुष वर्ग और महिला वर्ग है उसमे 46 पुरुष और 107 महिलाएँ ग़ुम होने की रिपोर्ट दर्ज़ है। जिसकी कवर्धा पुलिस द्धारा जांच की जा रही है। यह सभी रजिस्ट्रड केस है। अभी तक किसी को रेस्क्यू नहीं किया जा सका है। जब हमने देह व्यपार को लेकर पूछा की अभी हालही में देह व्यपार को लेकर जिले में जो मामला सामने आया था। जिसमे कवर्धा से कुछ लोग शामिल होने की बात सामने आई थी ? क्या पुलिस के कुछ लोग मिलें हुए है ? उस पर पुलिस विभाग द्धारा क्या कार्यवाई की गयी है ? इस पर कबीरधाम के पुलिस अधीक्षक का कहना है कि "अभी बीच में देह व्यपार से सम्बंधित एक सुचना प्रकाशित हुआ था सोशल मीडिया में। जिस सम्बन्ध में कवर्धा पुलिस एवं अन्य थानों को भी उस तरह की जानकारी किसी के संज्ञान में है तो बताने एवं कार्यवाई करने को आदेशित किया गया है। लेकिन अभी तक पुलिस के संज्ञान में देह व्यापार का अड्डा या कहीं पे संचालित हो रही है तो उसमे हम कार्यवाई करने की सोच रहे है उसमे एक संलिप्ता की भी बात उजागर हुई थी उसमे पुलिस की संलिप्ता भी है इस सम्बन्ध में पुलिस के पास मतलब पुलिस अधीक्षक के पास अभी तक के किसी भी पुलिस अधिकारी के संलिप्त होने की कोई जानकारी नहीं है"। मीडिया के साथियो को इस सम्बंध में कोई जानकारी है तो गोपनीय रूप से बता सकते है। जब हमने सिर्फ 2020 के केस की बात की तो कबीरधाम के पुलिस अधीक्षक ने कहा की हाँ 2020 में भी केस है उस पर भी जांच चल रही है कोई भी रेस्क्यू नहीं हुआ है।

वहीँ इस पुरे मामले में कवर्धा के आंकड़े देखने और जानने के बाद स्थानीय युवा नेता विकाश केशरी का कहना है कि,यह जो आंकड़े सामने आएं है वह चिंता जनक है। साथ ही इस विषय में सरकार को टीम गठित कर रेस्क्यू चलाना चाहिए साथ ही हम स्थानीय विधायक और जिला प्रशासन से इस विषय में चर्चा करेंगे।

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